एमबी इंटर कॉलेज के सामने पटाखा बाजार को लेकर बड़ा विवाद स्कूल
फिरोज खान भास्कर टुडे
नर्सिंग होम और रिहायशी कॉलोनियों के बीच प्रशासन खुद बो रहा आग का खतरा
बरेली। शहर के दिल में, जहां हर रोज़ सैकड़ों बच्चे स्कूल जाते हैं, मरीज स्ट्रेचर पर अस्पताल पहुंचाए जाते हैं और चारों ओर घनी आबादी की सांसें चलती हैं, वहीं अब मनोहर भूषण इंटर कॉलेज (एमबी इंटर कॉलेज) के सामने पटाखा बाजार लगाने की तैयारी हो रही है।
यह वही इलाका है जहां एक चिंगारी पूरी बस्ती को राख बना सकती है। इसके बावजूद, कॉलेज प्रबंधन और प्रशासन के कुछ अधिकारी आंखें मूंदकर इस खतरे को मंजूरी देने में जुटे हैं।
सवाल उठता है क्या त्योहार के नाम पर शहर की सुरक्षा की बलि चढ़ाई जाएगी?
घनी आबादी, नर्सिंग होम और पेंट गोदाम के बीच “बारूद मंडी”
एमबी इंटर कॉलेज के आसपास का इलाका पहले ही संवेदनशील जोन घोषित किया जा चुका है। यहां तीन नर्सिंग होम, दो बड़े पेंट और केमिकल गोदाम, कई स्कूल, कोचिंग सेंटर और घनी आबादी वाली गलियां हैं।
दीपावली के दौरान भीड़ का आलम यह होता है कि पैर रखने की जगह नहीं बचती।
फिर भी कॉलेज प्रबंधन ने पिछले साल की तरह इस बार भी पटाखा बाजार का ठेका देने की तैयारी कर ली है।
पिछले साल कॉलेज को सिर्फ 24 दुकानों का लाइसेंस मिला था, मगर 50 से अधिक दुकानदारों से “कैश एडवांस” लेकर दुकानें लगवा दीं।
नतीजा भीड़ बेकाबू, ट्रैफिक ठप, और चारों ओर धुआं और खतरा।
अबकी बार तो 70 से ज़्यादा लोगों से एडवांस वसूला गया, जबकि अग्निशमन विभाग ने सिर्फ 30 दुकानों की सिफारिश की है।
यानी पैसा बोल रहा है, नियम मर रहे हैं।
फायर ब्रिगेड के नियम फाइलों में कैद, जमीनी हकीकत उलट अग्निशमन विभाग के नियम कहते हैं
“पटाखा बाजार खुले मैदान में लगाया जाए, जहां 100 मीटर की दूरी तक कोई रिहायशी इलाका, अस्पताल या ज्वलनशील पदार्थ न हो।”
लेकिन मनोहर भूषण कॉलेज का इलाका इसके ठीक उल्टा है चारों तरफ दवाखाने, क्लीनिक, केमिकल गोदाम और तंग गलियां।
यहां गैस सिलिंडर और पेंट के ड्रम रोजाना ट्रकों से उतरते हैं।
अगर एक चिंगारी उठी, तो पूरा मोहल्ला आग का दरिया बन जाएगा।
स्थानीय लोगों ने विरोध की तैयारी शुरू कर दी है।
लोगों का कहना है हमारे घर, स्कूल और अस्पताल के बीच पटाखा बाजार लगाना सीधा-सीधा हत्या का निमंत्रण है। अगर हादसा हुआ तो कोई बच नहीं पाएगा।”
थोक कारोबारियों के लाइसेंस अटके, मगर माल पहुंच चुका कौन देगा जवाब?
बरेली में पटाखा कारोबार सिर्फ खुदरा तक सीमित नहीं है।
बिथरी चैनपुर, महेशपुर ठाकुरान और डोहरा रोड में 10 से अधिक थोक लाइसेंस आवेदन फंसे पड़े हैं।
लाइसेंस मंजूर नहीं हुए, फिर भी कारोबारियों ने फैक्ट्रियों को लाखों रुपये एडवांस भेजकर माल मंगवा लिया।
अब सवाल उठता है ये माल कहां रखा जा रहा है?
किसने इसकी अनुमति दी? अगर आग लगी तो जिम्मेदार कौन होगा?
प्रशासन की खामोशी खुद एक शक बन चुकी है। अगर लाइसेंस जारी नहीं हुए, तो फिर लाखों के पटाखे कैसे मंगवा लिए गए?
स्पष्ट है कि कोई न कोई “ऊपर से” इशारा मिल चुका है।
अनुमति देना ‘अपराधिक लापरवाही’ से कम नहीं
सूत्रों के अनुसार, कॉलेज प्रबंधन ने नगर निगम और जिला प्रशासन से बाजार की अनुमति के लिए प्रस्ताव भेजा है।
अग्निशमन विभाग ने आपत्ति दर्ज की, लेकिन फाइल फिर भी “आगे बढ़ाई” जा रही है यानि दबाव बड़ा है, और जिम्मेदारी गायब।
एमबी इंटर कॉलेज के सामने की जगह न तो खुला मैदान है और न ही सुरक्षित परिधि।
यहां पटाखा बाजार लगाना सरासर अपराध है।अगर प्रशासन ने इस पर रोक नहीं लगाई, तो यह संविधानिक और आपराधिक दोनों रूप से लापरवाही होगी।
हादसे की स्थिति में जिम्मेदार वही होंगे जिन्होंने फाइल पर हस्ताक्षर किए।
स्थानीयों लोगो मे गुस्सा है फिर भी है खामोश: “हम बच्चों और मरीजों के बीच बारूद नहीं चाहते”
इलाके के डॉक्टरों, स्कूल संचालकों और आम लोगों में आक्रोश है।
एक नर्सिंग होम संचालक ने कहा हमारे अस्पताल में रोजाना गंभीर मरीज आते हैं। अगर बाहर पटाखों का बाजार लग गया तो एम्बुलेंस तक फंस जाएगी। ये सीधे मरीजों की जान से खेलना है।”
एक स्कूल प्रिंसिपल बोले “सैकड़ों बच्चे रोज इसी रास्ते से स्कूल आते हैं। अगर पटाखा बाजार लगा तो किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। प्रशासन आंखें बंद किए बैठा है।”
हर साल दीपावली से पहले बरेली में पटाखा बाजारों को लेकर सुरक्षा नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं, और हर बार जिम्मेदार बच निकलते हैं।
एमबी इंटर कॉलेज के सामने बाजार लगाने की साजिश इस बार शहर की सबसे बड़ी लापरवाही साबित हो सकती है।
अब वक्त है कि डीएम, नगर निगम और अग्निशमन विभाग मिलकर इस खतरे को तुरंत रोके।
वरना, अगर इस बार कोई हादसा हुआ, तो उसकी लपटें सिर्फ पटाखों तक सीमित नहीं रहेंगी वो उन फाइलों तक पहुंचेंगी जिन पर “अनुमति” के हस्ताक्षर किए गए।
एमबी इंटर कॉलेज के सामने पटाखा बाजार की अनुमति देना शहर की सुरक्षा से खिलवाड़ है। यह फैसला अगर रोका नहीं गया तो आने वाला दीपावली पर्व ‘खुशी का नहीं, तबाही का त्योहार’ बन सकता है।